Check out some Poem on nature and all are in hindi. हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब लोग आशा करता हूं आप बहुत ही अच्छे होंगे तो दोस्तों आज हम आपको इस Article में Nature के बारे में बताएंगे हमारा जो आसपास है वह बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है लेकिन हम इंसान इसे खराब कर रहे हैं
Poem in Hindi About Nature | प्रकृति के बारे में हिंदी में कविता - हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब लोग आशा करता हूं आप बहुत ही अच्छे होंगे तो दोस्तों आज हम आपको इस Article में Nature के बारे में बताएंगे
हमारा जो आसपास है वह बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है लेकिन हम इंसान इसे खराब कर रहे हैं तो हम आपके लिए बहुत ही सुंदर पर्यावरण और प्राकृतिक की कविता लेकर आएंगे|
नीचे देगी सभी Poems शुद्ध हिंदी में लिखी गई है और यह सभी Poem in Hindi About Nature के बारे में लिखी गई हैं |
पेड़ों की छांव में ही 2 पंछियों का रहना बसेरा है
इनकी होने से हम हैं और कहते हैं जीवन मेरा है !
गौर से देखो इन्हें यह भी तो कुछ कहते हैं
फूल फल हवा सुगंध यह सब देते रहते हैं !
मीठे मीठे फल उनके बच्चों को कितने बातें हैं
इनका ही तो रस लेकर भंवरे मस्त मगन हो जाते हैं !
पत्तियां कविता जी हरि तो कभी सुख कर सुनहरी हो जाती हैं
इन्हें देखकर कोई भी तो देखो नगमे कैसे गाती है !
देख इन्हें हारे का दिल कैसे खुश हो जाता है
जैसे शीतल लहर का झोंका खुशियों के रंग लाता है !
इनको जो घर काट गिराया कैसे मिलेगी तुमको साया
दर्द इन्हें भी होता होगा चोट इन्हीं भी लगती होगी !
इनको जो काट कर आओगे तुम भी तो ना बच पाओगे
जो समझेगा दर्द को इनके इंसान ही कहलाएगा !
उनके बिना जीवन अपना इनकी रक्षा काम है
अपना हर एक जो पेड़ लगाएगा एक काम था जाएगा
जो समझेगा दर्द को इनके इंसान वही कहलाएगा !
फूलों का रंग देखो खुशियों के संग देखो
दिल की तरंग देखो
मन की उमंग देखो !
रिमझिम फुहार देखो
सावन की बहार देखो
नाचे ना और ना देखो
सुंदर यह संसार देखो !
सत्य की मुस्कान देखो
ऊपर यह समान देखो
सारे एक समान देखो
लौकी की एक जहान देखो !
विवर्तन भाईचारा देखो
सूरज चांद तारा देखो
मित्रों का सारा देखो
अद्भुत जैन यारा देखो !
खेतों की हरियाली देखो
कहीं भरी के खाली देखो
जीवन में खुशहाली देखो !
धन्यवाद !
पेड़ लगाओ जीवन बचाओ
इस धरती को स्वर्ग बनाओ !
जीवन के सिंगार पेड़ हैं
जीवन के आधार पर हैं !
किसने लंबे मोटे पतले
बाद भी उसने डार्क रेड हैं
जीवन के सिंगार पेड़ है !
आसमान में बादल आते
बरखा के हथियार पेड़ हैं
बीमारों को दवा दे देते
प्राणवायु हजार पेड़ हैं
जीवन के सिंगार पर रहे हैं !
रबड़ कागज लकड़ी देते
पक्षियों के घर बार पेड़
शीतल छाया फल देते हैं
कितने यह दातार पेड़ हैं
जीवन के सिंगार पेड़ हैं !
खुद को समर्पित करने वाले
ईश्वर के अवतार पेड़ हैं
जीवन के सिंगार पेड़ हैं
जीवन के आधार पेड़ हैं !
धरती की बस यही पुकार
पेड़ लगाओ बारंबार
आओ मिलकर कसम दिखाएं
अपनी धरती हरित बनाए !
धरती पर हरियाली हो
जीवन में खुशहाली हो
पेड़ धरती की शान है
जीवन की मुस्कान है !
पेड़ पौधों को पानी दे
जीवन की यह निशानी दे
आओ पेड़ लगाए हम
पेड़ लगाकर जगमग आ कर
जीवन को सुखी बनाएं हम !
आज समय की मांग यही है
पर्यावरण बचाओ
ध्वनि मिट्टी जलवायु आज सब पर निबंध हमारे
जीव जगत के मित्र विजय जीवन देते सारे !
इन से अपना नाता जोड़ो इनको मित्र बनाओ
पर्यावरण बचाओ !
तब तक जीवित है जगत में जब तक जग में पानी
जब तक वायु शुद्ध रही है
सऊदी मिट्टी रानी तब तक मानव का जीवन है
यह सब को समझाओ
पर्यावरण बचाओ !
चार्ली की मेहमान जो बच्चों को पहचानो
यह मानव के जीवन दाता इनको अपना मानो
1 वर्ष यदि कट जाए तो 11 वर्ष लगाओ
पर्यावरण बचाओ !
जीव जगत की रक्षा करना अब कर्तव्य हमारा
तो और मिट्टी का संकट दूर करेगा करेंगे सहारा
1 वर्ष अमृत रुकेंगे आज शपथ दिखाओ
पर्यावरण बचाओ !
आज समय की मांग रही है
पर्यावरण बचाओ !
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
बांध तने में उसके रस्सी
चाहे जहां कहीं ले जाते !
जहां कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे जट सुस्ताते
जहां कहीं वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छुप जाते !
लगती जब भी भूख अचानक
तोड़ मधुर फल उसके खाते
आती कीचड़ बाढ़ कहीं तो
जट उसके ऊपर चढ जाते !
अगर पेड़ भी चलते होते कितने मजे हमारे होते !
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
रंग बिरंगी धरती पहन चुनरिया रंगो वाली !
दुल्हन जैसी लगती
नीला नीला आसमान है
बादल काले काले
लाल गुलाबी नीले पीले फूल बड़े मतवाले !
हरियाली की फैली चादर
सबके मन को अति
सुंदर सुंदर प्यारी प्यारी रंग बिरंगी धरती !
काला कौवा काली कोयल बालू भी है काला
कुकड़ू कु करता है मुर्गा
लाल कलंगी वाला
सुबह-सुबह को बुरी चिड़िया
ची ची ची ची करती
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी रंग बिरंगी धरती !
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी रंग बिरंगी धरती
पहन चुनरिया रंग वाली दुल्हन जैसी लगती !
कहीं सुबह होती है ऐसी,
जैसे आसमान जमीन पर हो आया
कहीं खुशियों ने डेरा डाला
जैसे खुशियों में दामन मेरा भर डाला !
कहीं दुखों को होती बरसात
जैसे सावन ना आया हो
अबकी बार ऐसी जिंदगी जीते हम
सारे तभी तो कहते हैं इसको हम प्यारे !
यह कौन है जिसने रंग बरसाया
कभी खुशी तो कभी गम है लाया
वह कौन है वह कहां छुपा है
जिससे ढूंढते हैं हम सब प्यारे !
वह है यही पास हमारे और
कहां मिलेगा तुमको प्यारे
प्रकृति से बढ़कर ना दूजा होवे
जो रंग तरह-तरह के दिखावे !
पल में पतझड़ तो पल में सावन को लावे
ऐसी ही दिनों से साल में पहुंचावे
प्रकृति के रंग अनोखे बड़े हैं
हम तो बचपन से जवानी की और बड़े हैं !
बढ़ते बढ़ते हम मर जाएं
पर प्रकृति खत्म होने को ना आवे
ऐसे जीवन बिताता जावे
प्रकृति हमेशा अपना रंग बरसा !
वे दुनिया चाहे बदलती जावे पर
प्रकृति हमेशा अपने रंग करावे बिखरा वे !
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
पंछी कोई मार चोच उड़ जाता झट से,
सवार लहरिया उड़ती तब सुने पनघट से |
घटा लाज से दोहरी होकर मुस्कुराती है,
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
अंबर का आंचल अटके जब व्हाट के गहरे झुरमुट में,
बेचैनी सी हो जाती है गगग वनदारो के गुट में,
कलरव में हौले से संध्या नीड बनाती है,
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
विरह वेदना कोयल की जब रास ना आए,
दिन रात कूकते उपवन में निर्मित छाये|
मन वन्दना की बत्ती कोरे दीप जलाती है,
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
पर अंतर में कई रहस्यों को लपेटे हुए हैं
पेड़ हो या पंछी मानव हो जा
बक्शी यह सब को अपनी गोद में समेटे हुए हैं,
वह खूबसूरत वादियां
कल-कल करती नदियां
व शांति के रूप पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ और
जर्जर करते झरने और
वह 1 की चटनी चमचमाती चुम्मा,
को बैठे हुए है अपनी गोद में बैठे हुए हैं
प्रकृति एक छोटा सा शब्द है
पर अंतर में कई रहस्यों को लपेटे हुए हैं,
प्रकृति की सबसे प्रकृति ही सबकी माता है
यह सभी जीवो की जन्मदाता है
जो करता है इसके नियमों का पालन
वह खुद ही अपना भाग्य विधाता है,
पर आजकल के इस दौर में
भला कौन इसकी परवाह करना चाहता है
आजकल तो हर इंसान
बस इस को नुकसान पहुंचाना चाहता है,
पर फिर भी यह इसी तरह
सभी को खुद से जुड़े हुए हैं
प्रकृति एक छोटा सा शब्द है
पर अंतर में कई रहस्यों को लेटे हुए हैं |
लू से झुलसी धरती को एक नई जिंदगानी दे
पानी से खेतों में सोना , नाचे गेहूँ - गाए झोना ।
पानी है तो सब है दूना , बिन पानी कत्था क्या चूना ।
पानी है तो है ज़िन्दगानी , पानी खत्म तो खत्म कहानी ।
जीवन की कश्ती को , आकर नई रवानी दे । रब्बा मीह दे . .
पानी से हरियाली होती - खेतों में खुशहाली होती ।
क्या मवेशी क्या वन या बूटे - पानी बिन जीवन से छूटे ।
आओ , पानी नष्ट करें न , प्रदूषित या व्यर्थ करें न ।
मेरे देश के जन - जन को , यह सीख सुहानी दे ॥ रब्बा मीह दे . .
चाहे इसका रंग नहीं है - अपनी कोई उमंग नहीं है ।
फिर भी यह जिसमें मिल जाता - उसके रंग में ही खिल जाता ।
ग़म में आँखों में आ जाता और खुशी में यही रुलाता ,
पर - दुःख को अपना समझे - हर आँख को पानी दे । रंब्बा मीह दे . . . . . .
हमारा जो आसपास है वह बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है लेकिन हम इंसान इसे खराब कर रहे हैं तो हम आपके लिए बहुत ही सुंदर पर्यावरण और प्राकृतिक की कविता लेकर आएंगे|
नीचे देगी सभी Poems शुद्ध हिंदी में लिखी गई है और यह सभी Poem in Hindi About Nature के बारे में लिखी गई हैं |
पर्यावरण पर कविता - Hindi Poetry On Environment
पेड़ों की छांव में ही 2 पंछियों का रहना बसेरा है
इनकी होने से हम हैं और कहते हैं जीवन मेरा है !
गौर से देखो इन्हें यह भी तो कुछ कहते हैं
फूल फल हवा सुगंध यह सब देते रहते हैं !
मीठे मीठे फल उनके बच्चों को कितने बातें हैं
इनका ही तो रस लेकर भंवरे मस्त मगन हो जाते हैं !
पत्तियां कविता जी हरि तो कभी सुख कर सुनहरी हो जाती हैं
इन्हें देखकर कोई भी तो देखो नगमे कैसे गाती है !
देख इन्हें हारे का दिल कैसे खुश हो जाता है
जैसे शीतल लहर का झोंका खुशियों के रंग लाता है !
इनको जो घर काट गिराया कैसे मिलेगी तुमको साया
दर्द इन्हें भी होता होगा चोट इन्हीं भी लगती होगी !
इनको जो काट कर आओगे तुम भी तो ना बच पाओगे
जो समझेगा दर्द को इनके इंसान ही कहलाएगा !
उनके बिना जीवन अपना इनकी रक्षा काम है
अपना हर एक जो पेड़ लगाएगा एक काम था जाएगा
जो समझेगा दर्द को इनके इंसान वही कहलाएगा !
Poem in Hindi Nature -
आशा करता हूं आपको ऊपर दी गई प्रकृति की कविता बहुत ही अच्छी लगी होगी कि मैं आपको कुछ और कविताएं बताने जा रहा हूं जो की Poem In Hindi Nature के बारे में है |नजारे देखो प्रकृति की - Nature Poem In Hindi
फूलों का रंग देखो खुशियों के संग देखो
दिल की तरंग देखो
मन की उमंग देखो !
रिमझिम फुहार देखो
सावन की बहार देखो
नाचे ना और ना देखो
सुंदर यह संसार देखो !
सत्य की मुस्कान देखो
ऊपर यह समान देखो
सारे एक समान देखो
लौकी की एक जहान देखो !
विवर्तन भाईचारा देखो
सूरज चांद तारा देखो
मित्रों का सारा देखो
अद्भुत जैन यारा देखो !
खेतों की हरियाली देखो
कहीं भरी के खाली देखो
जीवन में खुशहाली देखो !
धन्यवाद !
हिंदी कविता प्रकृति - Hindi Poem On Nature
पेड़ लगाओ जीवन बचाओ
इस धरती को स्वर्ग बनाओ !
जीवन के सिंगार पेड़ हैं
जीवन के आधार पर हैं !
किसने लंबे मोटे पतले
बाद भी उसने डार्क रेड हैं
जीवन के सिंगार पेड़ है !
आसमान में बादल आते
बरखा के हथियार पेड़ हैं
बीमारों को दवा दे देते
प्राणवायु हजार पेड़ हैं
जीवन के सिंगार पर रहे हैं !
रबड़ कागज लकड़ी देते
पक्षियों के घर बार पेड़
शीतल छाया फल देते हैं
कितने यह दातार पेड़ हैं
जीवन के सिंगार पेड़ हैं !
खुद को समर्पित करने वाले
ईश्वर के अवतार पेड़ हैं
जीवन के सिंगार पेड़ हैं
जीवन के आधार पेड़ हैं !
पेड़ लगाओ बारंबार - Grow Trees Nature Poem
धरती की बस यही पुकार
पेड़ लगाओ बारंबार
आओ मिलकर कसम दिखाएं
अपनी धरती हरित बनाए !
धरती पर हरियाली हो
जीवन में खुशहाली हो
पेड़ धरती की शान है
जीवन की मुस्कान है !
पेड़ पौधों को पानी दे
जीवन की यह निशानी दे
आओ पेड़ लगाए हम
पेड़ लगाकर जगमग आ कर
जीवन को सुखी बनाएं हम !
पर्यावरण बचाएं - Save Nature Poem
आज समय की मांग यही है
पर्यावरण बचाओ
ध्वनि मिट्टी जलवायु आज सब पर निबंध हमारे
जीव जगत के मित्र विजय जीवन देते सारे !
इन से अपना नाता जोड़ो इनको मित्र बनाओ
पर्यावरण बचाओ !
तब तक जीवित है जगत में जब तक जग में पानी
जब तक वायु शुद्ध रही है
सऊदी मिट्टी रानी तब तक मानव का जीवन है
यह सब को समझाओ
पर्यावरण बचाओ !
चार्ली की मेहमान जो बच्चों को पहचानो
यह मानव के जीवन दाता इनको अपना मानो
1 वर्ष यदि कट जाए तो 11 वर्ष लगाओ
पर्यावरण बचाओ !
जीव जगत की रक्षा करना अब कर्तव्य हमारा
तो और मिट्टी का संकट दूर करेगा करेंगे सहारा
1 वर्ष अमृत रुकेंगे आज शपथ दिखाओ
पर्यावरण बचाओ !
आज समय की मांग रही है
पर्यावरण बचाओ !
अगर पेड़ भी चलते होते - If Trees can Walk Nature Poem
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
बांध तने में उसके रस्सी
चाहे जहां कहीं ले जाते !
जहां कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे जट सुस्ताते
जहां कहीं वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छुप जाते !
लगती जब भी भूख अचानक
तोड़ मधुर फल उसके खाते
आती कीचड़ बाढ़ कहीं तो
जट उसके ऊपर चढ जाते !
अगर पेड़ भी चलते होते कितने मजे हमारे होते !
रंग बिरंगी धरती - Colourful Earth Nature Poem
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी
रंग बिरंगी धरती पहन चुनरिया रंगो वाली !
दुल्हन जैसी लगती
नीला नीला आसमान है
बादल काले काले
लाल गुलाबी नीले पीले फूल बड़े मतवाले !
हरियाली की फैली चादर
सबके मन को अति
सुंदर सुंदर प्यारी प्यारी रंग बिरंगी धरती !
काला कौवा काली कोयल बालू भी है काला
कुकड़ू कु करता है मुर्गा
लाल कलंगी वाला
सुबह-सुबह को बुरी चिड़िया
ची ची ची ची करती
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी रंग बिरंगी धरती !
सुंदर-सुंदर प्यारी-प्यारी रंग बिरंगी धरती
पहन चुनरिया रंग वाली दुल्हन जैसी लगती !
प्रकृति के रंग अनोखे - Natures Colour Poem
कहीं सुबह होती है ऐसी,
जैसे आसमान जमीन पर हो आया
कहीं खुशियों ने डेरा डाला
जैसे खुशियों में दामन मेरा भर डाला !
कहीं दुखों को होती बरसात
जैसे सावन ना आया हो
अबकी बार ऐसी जिंदगी जीते हम
सारे तभी तो कहते हैं इसको हम प्यारे !
यह कौन है जिसने रंग बरसाया
कभी खुशी तो कभी गम है लाया
वह कौन है वह कहां छुपा है
जिससे ढूंढते हैं हम सब प्यारे !
वह है यही पास हमारे और
कहां मिलेगा तुमको प्यारे
प्रकृति से बढ़कर ना दूजा होवे
जो रंग तरह-तरह के दिखावे !
पल में पतझड़ तो पल में सावन को लावे
ऐसी ही दिनों से साल में पहुंचावे
प्रकृति के रंग अनोखे बड़े हैं
हम तो बचपन से जवानी की और बड़े हैं !
बढ़ते बढ़ते हम मर जाएं
पर प्रकृति खत्म होने को ना आवे
ऐसे जीवन बिताता जावे
प्रकृति हमेशा अपना रंग बरसा !
वे दुनिया चाहे बदलती जावे पर
प्रकृति हमेशा अपने रंग करावे बिखरा वे !
माटी गाती है - Soil Singing Nature Poem
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
पंछी कोई मार चोच उड़ जाता झट से,
सवार लहरिया उड़ती तब सुने पनघट से |
घटा लाज से दोहरी होकर मुस्कुराती है,
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
अंबर का आंचल अटके जब व्हाट के गहरे झुरमुट में,
बेचैनी सी हो जाती है गगग वनदारो के गुट में,
कलरव में हौले से संध्या नीड बनाती है,
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
विरह वेदना कोयल की जब रास ना आए,
दिन रात कूकते उपवन में निर्मित छाये|
मन वन्दना की बत्ती कोरे दीप जलाती है,
कभी-कभी सुध खोकर, माटी गाती है |
प्रकृति एक छोटा सा शब्द हैप्रकृति - Short Nature Hindi Poem
पर अंतर में कई रहस्यों को लपेटे हुए हैं
पेड़ हो या पंछी मानव हो जा
बक्शी यह सब को अपनी गोद में समेटे हुए हैं,
वह खूबसूरत वादियां
कल-कल करती नदियां
व शांति के रूप पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ और
जर्जर करते झरने और
वह 1 की चटनी चमचमाती चुम्मा,
को बैठे हुए है अपनी गोद में बैठे हुए हैं
प्रकृति एक छोटा सा शब्द है
पर अंतर में कई रहस्यों को लपेटे हुए हैं,
प्रकृति की सबसे प्रकृति ही सबकी माता है
यह सभी जीवो की जन्मदाता है
जो करता है इसके नियमों का पालन
वह खुद ही अपना भाग्य विधाता है,
पर आजकल के इस दौर में
भला कौन इसकी परवाह करना चाहता है
आजकल तो हर इंसान
बस इस को नुकसान पहुंचाना चाहता है,
पर फिर भी यह इसी तरह
सभी को खुद से जुड़े हुए हैं
प्रकृति एक छोटा सा शब्द है
पर अंतर में कई रहस्यों को लेटे हुए हैं |
रब्बा मी दे पानी दे पानी दे पानी दे,
रब्बा मी दे पानी दे पानी दे - Give us Water God Hindi Poem
लू से झुलसी धरती को एक नई जिंदगानी दे
पानी से खेतों में सोना , नाचे गेहूँ - गाए झोना ।
पानी है तो सब है दूना , बिन पानी कत्था क्या चूना ।
पानी है तो है ज़िन्दगानी , पानी खत्म तो खत्म कहानी ।
जीवन की कश्ती को , आकर नई रवानी दे । रब्बा मीह दे . .
पानी से हरियाली होती - खेतों में खुशहाली होती ।
क्या मवेशी क्या वन या बूटे - पानी बिन जीवन से छूटे ।
आओ , पानी नष्ट करें न , प्रदूषित या व्यर्थ करें न ।
मेरे देश के जन - जन को , यह सीख सुहानी दे ॥ रब्बा मीह दे . .
चाहे इसका रंग नहीं है - अपनी कोई उमंग नहीं है ।
फिर भी यह जिसमें मिल जाता - उसके रंग में ही खिल जाता ।
ग़म में आँखों में आ जाता और खुशी में यही रुलाता ,
पर - दुःख को अपना समझे - हर आँख को पानी दे । रंब्बा मीह दे . . . . . .
COMMENTS